देश की आन मान एवं शान के प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज को राष्ट्रीय पर्वो तथा अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर पूरी गरिमा और सम्मानपूर्वक फहराने के लिए कई सावधानियां बरती जानी चाहिए।
आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के सही एवं गलत तरीके उसके दुरूपयोग तथा उसकी सलामी के बारे में स्पष्ट दिशा निर्देश एवं नियम है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इसके लिए भारतीय झंडा संहिता बनाई गई है। झंडा संहिता के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए राज्यों से अपेक्षा की गई है। इसके बावजूद भी बहुत ही कम लोग शायद इस बारे में जानते होंगे।
संहिता के अनुसार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर आम जनता द्वारा कागज के बने झंडों को हाथ में लेकर लहराया जा सकता है, लेकिन समारोह के पश्चात इन झंडों को विकृत अथवा जमीन पर फेंका नहीं जाना चाहिए। जहां तक संभव हो ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाए। इन अवसरों पर प्लास्टिक के बने झंडों का उपयोग बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए। झंडा संहिता के अनुसार जब भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज ऐसी जगह पर फहराया जाए जहां से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। यदि किसी सरकारी भवन पर झंडा फहराने का प्रचलन है तो उस भवन पर रविवार एवं अन्य अवकाश दिवसों में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ध्वज फहराया जाए चाहे मौसम कैसा भी क्यों ना हो।
संहिता के अनुसार झंडे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे एवं आदर के साथ उतारा जाए। झंडे को फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए। जब झंडा किसी भवन की खिड़की बालकनी अथवा अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो झंडे की केसरी पट्टी सबसे दूर वाले सिरे पर होनी चाहिए। जब झंडे का प्रदर्शन किसी दीवार के सहारे आड़ा और चौड़ाई में किया जाता है तो केसरी पट्टी सबसे उपर रहेगी और जब वह लंबाई में फहराया जाए तो केसरी पट्टी झंडे के हिसाब से दांयी ओर होगी अर्थात झंडे को सामने से देखने वाले व्यक्ति के बांयी ओर होगी। यदि झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनकी दाहिनी ओर रहे अथवा झंडे को दीवार के साथ वक्ता की पीछे और उसके ऊपर आड़ा फहराया जाए। किसी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर झंडे को सम्मान के साथ और पृथक रूप से प्रदर्शित किया जाए। जब झंडा किसी मोटर कार पर लगाया जाता है तो उसे बोनट के आगे बीचोंबीच या कार के आगे कस कर लगाए हुए डंडे पर फहराया जाए।
संहिता के अनुसार जब राष्ट्रीय ध्वज किसी जुलूस या परेड में ले जाया जा रहा हो तो वह मार्च करने वालों के दांयी ओर अर्थात झंडे के भी दाहिनी ओर रहेगा। यदि दूसरे झंडे की कोई लाईन हो तो राष्ट्रीय झंडा उस लाईन के मध्य में आगे होगा। झंडा संहिता के अनुसार फटा हुआ या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जा सकेगा। किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा। किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा और न ही कोई वस्तु उस ध्वज दंड के ऊपर रखी जाएगी जिस पर झंडा फहराया जाता है।
झंडे का प्रयोग न तो वक्ता की मेज को ढकने के लिए और न ही वक्ता के मंच को सजाने के लिए किया जाएगा। केसरी पट्टी को नीचे रखकर झंडा नहीं फहराया जाएगा। झंडे को जमीन या फर्श छूने या पानी में घसीटने नहीं दिया जाएगा। झंडे का प्रदर्शन इस प्रकार बांधकर नहीं किया जाएगा जिससे की वह फट जाए।
झंडा संहिता में झंडे के दुरूपयोग को रोकने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए है। इसके अनुसार राजकीय सैन्य केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों से संबंधित शव यात्राओं को छोड़कर झंडे का प्रयोग किसी भी रूप में लिपटने के लिए नहीं किया जाएगा। झंडे को वाहन रेलगाड़ी अथवा नाव की टोपदार छत बगल अथवा पिछले भाग को ढकने के काम में नहीं लाया जा सकता।
झंडे का प्रयोग किसी भवन में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जाएगा। किसी प्रकार की पोशाक या वर्दी के भाग के रूप में झंडा का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इसे गद्दियों, रूमालों, बक्सों अथवा नेपकीनों पर काढ़ा नहीं जाएगा। झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे किसी भी प्रकार के विज्ञापन के रूप में झंडे का प्रयोग नहीं किया जाएगा और न ही उस डंडे पर विज्ञापन लगाया जाएगा जिस पर कि झंडा फहराया जा रहा है।
झंडा संहिता के अनुसार झंडे को किसी वस्तु को प्राप्त करने देने, पकड़ने या ले जाने वाले पात्र के रूप में भी प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय दिवसों पर समारोह के एक अंग के रूप में झंडे को फहराने से पूर्व फूलों की पंखुडियां रखी जा सकती है। झंडे को फहराते समय या उतारते समय या झंडे को परेड में या किसी निरीक्षण के अवसर पर ले जाते समय वहां पर उपस्थित सभी लोग झंडे की ओर मुंह करके सावधान की अवस्था में खड़े होंगे। वर्दी पहने हुए व्यक्ति समुचित ढंग से सलामी देंगे। जब झंडा सैन्य टुकड़ी के साथ हो तो उपस्थित व्यक्ति सावधान खडे़ होंगे या जब झंडा उनके पास से गुजरे तो वे उसको सलामी देंगे। गणमान्य व्यक्ति सिर पर कोई वस्त्र पहने बिना भी सलामी ले सकते हैं।