आस्ट्रेलिया में विलुप्त हो रहे हैं स्तनधारी  

Posted by: Arun



मेलबर्नपृथ्वी पर विलुप्त होने वाले स्तनधारी जंतुओं के मामले में विकसित देशों में आस्ट्रेलिया सबसे ऊपर है। एक समाचारपत्र ने बताया कि भूमि और समुद्र के 5,487 जंतुओं पर किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि आस्ट्रेलिया इस लिहाज से जमैका और प्यूरिटो रिको के साथ छठे स्थान पर है। वहां स्तनधारी जंतुओं में से छह प्रतिशत विलुप्त हो चुके हैं अथवा होने वाले हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ [आयूसीएन] ने बार्सिलोना में अपने विश्व सम्मेलन में सोमवार रात रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसके मुताबिक सूची में 20वें स्थान तक किसी अन्य विकसित देश का नाम नहीं है। वहीं इटली, फ्रांस, अमेरिका और जापान सहित नौ अन्य देशों में जंतुओं की प्रजातियों में से एक प्रतिशत से कम विलुप्त हुए हैं।

आयूसीएन ने 2004 में जारी की गई खतरे की सूची में छठे स्थान पर रहे आस्ट्रेलिया की स्थिति में सुधार नहीं होने पर चिंता जताई। दक्षिण आस्ट्रेलिया प्राणी उद्यान के मुख्य कार्यकारी क्रिस वेस्ट ने कहा कि यह गंभीर बात है कि जोखिम में पड़े जंतुओं के मामले में हम उसी जगह पर हैं।

फ्लाइंडर एवं एडीलेड विश्वविद्यालयों के एक जैव विविधता विषय के विशेषज्ञ वेस्ट ने बताया कि इसके बाद से सिलेटी रंग की चुहिया विलुप्त हो गई है और उन तीन छोटे देशज स्तनधारी जंतुओं को अब खतरे की सूची में गंभीरता से लिया जा सकता है, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं।

कुत्ते की तरह दिखने वाला ताकतवर मांसाहारी जीव तस्मानियन डेविल का नाम 2004 के खतरे की सूची में नहीं था, लेकिन अब इसे खतरे की सूची में शामिल कर लिया गया है। इसकी संख्या में 10 वर्षो में 60 फीसदी की गिरावट हुई है।

सूची में 18 प्रतिशत के साथ हैती सबसे ऊपर है, जबकि क्यूबा और मारिशस में यह दर नौ प्रतिशत एवं रियुनियन में सात प्रतिशत है।

आयूसीएन की नई सूची को 130 देशों के 1700 से अधिक विशेषज्ञों ने तैयार किया है।

आस्ट्रेलिया के दौरे पर आई वानर प्रजाति विशेषज्ञ और संरक्षक जेन गुडआल ने बताया कि चिम्पांजी, गुरिल्ला और बंदरों की प्रजातियों को सबसे अधिक खतरा है। व्हेल, डालफिन और समुद्री गाय भी विलुप्त होने के कगार पर हैं।

आयूसीएन ने यह भी पाया है कि भूमि के स्तनधारी जंतुओं की विलुप्ति के खतरे का कारण उनके आवास स्थान की कमी और उनका अत्यधिक शिकार है, जबकि समुद्री स्तनधारी जंतुओं को प्रदूषण और मछली पकड़ने के कार्य से सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।

सर्वेक्षण का ब्योरा इस हफ्ते विज्ञान पत्रिका में दिया जाएगा। उसमें कहा गया है कि कुल मिलाकर जमीन में रहने वाली दुनिया के स्तनपायी प्रजातियों में चार में से एक तथा समुद्र में रहने वाले स्तनपायी प्रजातियों में तीन में से एक विलुप्ति के कगार पर है।

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