कमरे में लगे बल्ब सिर्फ रोशनी देने का काम ही नहीं करेंगे। इनके उजाले से कंप्यूटर और फोन ही नहीं, कारों को भी इंटरनेट से जोड़ा जा सकेगा।
जैसे ही आप बल्ब का स्विच ऑन करेंगे, जहां-जहां लाइट होगी, वहां रखे कंप्यूटर या फोन में इंटरनेट नेटवर्क सक्रिय हो जाएगा। हालांकि, यह साधारण बल्ब नहीं होंगे। इसके लिए एलईडी (लाइट एमिटिंग डायोड) बल्बों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह बल्ब बिजली की कम खपत करेंगे और बहुत लंबे समय तक चलेंगे।
लाइट से कम्यूनिकेशन
रोशनी के जरिए संचार कोई नई बात नहीं है। रोमन एक-दूसरे से संपर्क करने के लिए आग का इस्तेमाल करते थे। समुद्र में बने लाइट हाउस जहाजों को आने-जाने का रास्ता तलाशने में काफी समय से मदद करते रहे हैं। फिलहाल वायरलेस कम्यूनिकेशन रेडियो तरंगों के जरिए अपना रास्ता तय करता है। लेकिन अब रोशनी के जरिए कम्यूनिकेशन की संभावना तलाशी जा रही है। हाल ही में नासा और अमेरिकी आर्मी ने हाई स्पीड लेजर के जरिए कम्यूनिकेशन पर रिसर्च शुरू की है। लिटिल कहते हैं कि अलग-अलग तरह की वायरलेस डिवाइस के लिए अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर रेडियो तरंगें छोड़ी जाती हैं।
इनकी संख्या काफी ज्यादा होने के कारण इनका एक जाल सा बन जाता है, जिसमें एक फ्रीक्वेंसी का दूसरी फ्रीक्वेंसी की तरंगों में मिलने की आशंका पैदा हो जाती है। नेटवर्क भी बहुत तेज नहीं रह पाता। इसके उलट, लाइट से नेटवर्किन्ग तरंगों की इस भीड़ से अलग होगी। यह सीधी खास यूजर और डिवाइस तक नेटवर्क पहुंचाएगी। यह तरीका ज्यादा सेफ भी होगा।
ग्रीन वायरलेस नेटवर्क
लिटिल और उनके साथी रिसर्चरों ने एलईडी बल्बों के जरिए वायरलेस रूट पर प्रयोग शुरू कर दिया है। योजना के अगले चरण में दुनिया में एलईडी बल्बों का प्रसार बढ़ाया जाना है। इन बल्बों में ऊर्जा की खपत काफी कम होती है। एलईडी कंप्यूटर स्क्रीन से लेकर ट्रैफिक लाइटों तक बहुत सी जगह दिखाई देते हैं। हालांकि, एलईडी बल्बों का घरों में इस्तेमाल शुरू होने में थोड़ा वक्त लग सकता है क्योंकि यह काफी महंगा है। फिलहाल एक बल्ब की कीमत 30 डॉलर (करीब 1300 रुपये) है। हालांकि, यह आम बल्बों की तुलना में 50 गुना ज्यादा समय तक चलता है।
स्मार्ट हाउस, स्मार्ट कार
यह प्रयोग अमेरिका के शहरों में सस्ता वायरलेस नेटवर्क देने तक ही सीमित नहीं है। लिटिल लगभग हर चीज को स्मार्ट तरीके से वायरलेस सिस्टम से जोड़ने का मकसद लेकर चल रहे हैं। इसका इस्तेमाल वीइकल्स में भी किया जा सकता है। लिटिल कहते हैं कि ऑटो इंडस्ट्री में यह बेहद कारगर होगा। अमेरिका के कई स्टेट की सरकारें लिटिल की इस योजना में आर्थिक मदद दे रही हैं।
सुनकर भले ही अजीब लगे, मगर यह जल्द ही हकीकत में बदलने वाला है। अब तक रिमोट कंट्रोल से टीवी या डीवीडी प्लेयर को ऑपरेट किया जाता रहा है। मगर अब खास वायरलेस सिस्टम से तकरीबन हर जगह पर इंटरनेट कनेक्शन किया जा सकेगा। अमेरिका की बॉस्टन यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर इंजीनियर थॉमस लिटिल कहते हैं कि लाइटिंग वाली हर जगह पर इंटरनेट कनेक्शन से कम्यूनिकेशन को काफी आसान बनाया जा सकेगा।
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on 2:36 PM
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