मुंबई :मुंबई में मुकेश अंबानी के आलीशान घर की खबर के बाद अब महान इंडियन क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर के घर की भी खबर है। सचिन जल्द ही बांद्रा में ला मेर अपार्टमंट्स के अपने फ्लैट छोड़कर अपने सपनों के घर में जाने की तमन्ना रखते हैं। इस घर को बनाने के लिए उनकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं।
एक साल पहले सचिन तेंडुलकर ने मुंबई के बांद्रा इलाके में 8 हजार 998 स्क्वायर फीट का प्लॉट खरीदा था। अब सचिन ने आखिरकार उसी प्लॉट पर अपने सपनों का घर बनाने का फैसला किया है। सचिन की शख्सियत और उनके करियर की तरह उनका यह घर भी आलीशान होगा। सचिन के 4 मंजिल के इस घर में एक काफी बड़ी पार्किन्ग होगी, बड़े-बड़े गेस्ट रूम होंगे और टॉप फ्लोर पर एक स्विमिंग पूल होगा। सचिन ने अपने इस घर का प्लान बृहनमुंबई म्यूनिसिपल कॉर्परेशन (बीएमसी) में अप्रूवल के लिए सबमिट कर दिया है। बीएमसी के एक अधिकारी के मुताबिक, 'इस बंगले में 10 कमरे होंगे। हर फ्लोर का एरिया 1710 स्क्वायर फीट से लेकर 2060 स्क्वायर फीट के बीच होगा।' सचिन तेंडुलकर के इस सपनों के घर के ग्राउंड फ्लोर पर 3 कमरे होंगे साथ ही पार्किन्ग भी होगी। फर्स्ट फ्लोर पर दो बड़े गेस्ट रूम्स होंगे। मास्टर बेडरूम और बच्चों के कमरे दूसरे और तीसरे फ्लोर पर होंगे जबकि चौथे फ्लोर पर एक स्विमिंग पूल बनाने की योजना है। बीएमसी के अधिकारी के मुताबिक सचिन को इस घर के लिए कोस्टल रेग्युलेशन ज़ोन की अथॉरिटी से पहले ही क्लिअरंस मिल गया है। फिलहाल सचिन के इस प्लॉट पर एक पुराना बंगला बना हुआ है। यह बंगला 1920 के दशक में बनवाया गया था। इस बंगले का मालिकाना हक एक पारसी फैमिली के पास था। इस बंगले के पड़ोस में रहने वालों के मुताबिक इस बंगले में पहले कई बॉलिवुड हस्तियां रह चुकी हैं। साहिर लुधियानवी, मजरूह सुल्तानपुरी, सुनील दत्त, संजय दत्त, प्रिया दत्त, नौशाद अली, दिलीप कुमार, राजेश खन्ना और रेखा इस बंगले में रह चुके हैं। सचिन ने 2007 में यह बंगला खरीदा था। सचिन ने इस घर की डिज़ाइनिंग की ज़िम्मेदारी आर्किटेक्ट प्रकाश सप्रे को दी है। एक बार बीएमसी से क्लिअरंस मिलने के बाद सचिन के न्यारे बंगले का कंस्ट्रक्शन शुरू हो जाएगा। इस बंगले में शिफ्ट होते ही सचिन को पड़ोसी के रूप में बॉलिवुड के दिग्गज ऐक्टर नसीरुद्दीन शाह मिलेंगे। हो सकता है कि अभिषेक और ऐश्वर्या भी सचिन के पड़ोसी बन जाएं क्योंकि उसी इलाके में इस बच्चन फैमिली ने भी प्लॉट खरीदा है। फिलहाल सचिन बांद्रा (वेस्ट) के ला मेर अपार्टमंट्स के एक 3 बेडरूम के फ्लैट में रह रहे हैं।
ब्रिस्टल पालिन
अमेरिका में वाइस प्रेज़िडंट पोस्ट की उम्मीदवार सारा पालिन की 17 साल की बेटी ब्रिस्टल पालिन के बिन ब्याहे प्रेगनंट होने की ख़बर से शुरू में हम चौंके थे। लेकिन, इतिहास पर नज़र डालें तो हम यह पाएंगे कि बड़े नेताओं की बेटियां स्कैंडल्स की वजह से पहले भी सुर्खियों में रही हैं। फिर चाहे बात अमेरिका के पूर्व प्रेज़िडंट रोनाल्ड रीगन की बेटी पैटी डेविस की हो या अमेरिकी उपराष्ट्रपति डिक चेनी की बेटी मेरी चेनी की। अब इसका दोष चाहे पावरफुल लीडर्स की अपने काम में मशरूफियत के मत्थे मढ़ें, लेकिन लीडर्स अपने बच्चों को ज़्यादा समय नहीं दे पाते हैं, जिसके चलते उनके बच्चों का स्कैंडल्स में आना कतई आश्चर्यजनक नहीं लगता.
जेना बुश
पैटी डेविस

अमेरिका के पूर्व प्रेज़िडंट रोनाल्ड रीगन की बेटी पैटी डेविस ने 1994 में प्लेबॉय के जुलाई अंक के कवर पर न्यूड पोज़ देकर तहलका मचा दिया था। रोनाल्ड रीगन का परिवार अमेरिका में काफी कंजर्वेटिव माना जाता है। लेकिन डेविस की प्लेबॉय इमिज ने उनके परिवार की छवि को काफी धक्का पहुंचाया था।
अलेक्जेंड्रा केरी

2004 में केन्स फिल्म फेस्टिवल में जब अमेरिका के सिनेटर जॉन केरी की बेटी अलेक्जेंड्रा केरी ने एंट्री मारी तो अच्छे-अच्छों के होश उड़ गए। केरी ने उस समय बिल्कुल आर-पार देखी जा सकने वाली ड्रेस पहनी थी
मेरी चेनी

SYDNEY: Who needs dry clean when you can shower clean? Executives around the world could soon be able to imitate their Japan counterparts and buy business suits designed to be cleaned under the shower head. The so-called shower suit, an invention of the research and marketing body of Australia's wool industry, has proven very popular in Japan, where it was launched last year. This week, Australian Wool Innovation (AWI) said the Japanese clothing company that sells the suit had placed an order for an additional 170,000, bringing the total number of suits to date in Japan to about a quarter of a million. "In the wake of the business suit success, ladieswear and corporate businesswear designs are also under development," AWI chief executive Craig Welsh said in a statement. "I'm also very excited there is talk of an airline adopting the technology for its cabin crew uniforms." AWI hopes the suit will spread from Japan to other markets. Welsh said the suit, which can be washed clean in the shower, was the ideal solution for busy career men and women who want the convenience of easy-care clothes without the cost and hassle of regular dry cleaning. The suit can be sprayed in a warm shower for three to four minutes and drip dries within a few hours at room temperature. If hung properly, no ironing is needed. Konaka, the Japanese company that sells the suit, has more than 300 stores and is targeting job-hunting students and young business people who live alone.
जापान :मुमकिन है कि कुछ समय बाद आपको अंतरिक्ष में जाने के लिए स्पेस शिप की जरूरत न पड़े। जापानी वैज्ञानिक एक ऐसी लिफ्ट या एलिवेटर तैयार कर रहे हैं, जो हमें जमीन से 99 हजार किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में पहुंचा देगी। यह एक ऐसा प्रॉजेक्ट है, जिसके बारे में साइंस फिक्शन राइटर काफी लंबे समय से कल्पनाएं करते रहे हैं। यूं तो इस योजना पर कई देशों के वैज्ञानिक काम कर रहे थे, लेकिन जापान द्वारा इस स्पेस एलिवेटर पर चार खरब रुपये खर्च करने के ऐलान के बाद अब इस काम में तेजी आ गई है।
माना जाता है कि इस तरह की लिफ्ट या एलिवेटर के बारे में 1979 में सबसे पहले मशहूर साइंस फिक्शन लेखक ऑर्थर सी. क्लॉर्क ने अपनी किताब द फाउंटेन्स ऑफ पैराडाइज में जिक्र किया था। इससे प्रेरणा ले कर वैज्ञानिक करीब 35 किलोमीटर लंबे केबलों की सहायता से ऊपर-नीचे सफर करने वाली लिफ्ट बनाने जा रहे हैं।
इसके लिए जरूरत होगी कि ये केबल सबसे मजबूत, साथ ही सबसे हल्के भी हों। इस एलिवेटर के केबिन जमीन से अंतरिक्ष स्टेशन तक अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाया करेंगे। उम्मीद यह भी है कि इंसानों के साथ इनमें बड़े-बड़े सोलर पावर से चलने वाले जेनरेटर भी भेजे जा सकेंगे। बाद में अंतरिक्ष में स्थित ये जेनरेटर पृथ्वी पर ऊर्जा की सप्लाई करेंगे।
जापान में नवंबर में इस मशीन को बनाने के लिए एक विस्तृत टाइम टेबल तैयार किया जाएगा। इस काम का सबसे मुश्किल पक्ष होगा लिफ्ट को खींचने वाली केबल के लिए उचित मटीरियल ढूंढना। चूंकि ये केबल हल्के होने के साथ इतने मजबूत भी होने चाहिए ताकि स्पेस में टकराने वाली चीजों का मुकाबला कर सकें इसलिए वैज्ञानिक इन्हें बनाने के लिए नैनोट्यूब्स पर विचार कर रहे हैं।
जापान की स्पेस एलिवेटर असोसिएशन के डाइरेक्टर प्रफेसर योशिओ आओकी का कहना है कि जरूरी है कि ये केबल स्टील से 180 गुना मजबूत हों। इसके लिए इन्हें अब तक के सबसे मजबूत नैनोट्यूब्स से चार गुना ज्यादा ताकतवर बनाना होगा। अब सवाल उठता है कि इन लिफ्टों को चलाया कैसे जाएगा, इसका जवाब देते हुए प्रफेसर आओकी ने कहा, हम सोच रहे हैं कि इसमें वही तकनीक इस्तेमाल करें जो हम बुलेट ट्रेन में करते हैं। चूंकि, कार्बन नैनोट्यूब्स में बिजली आसानी से बह सकती है इसलिए हमारा सोचना है कि एक और केबल बिजली मुहैया कराने के लिए लगाई जाए।
NEW DELHI: The government has decrypted the data on Research In Motion’s (RIM) BlackBerry network.
The department of telecommunication (DoT), Intelligence Bureau and security agency National Technical Research Organisation (NTRO) have done tests on service providers such as Bharti Airtel, BPL Mobile, Reliance Communications and Vodafone-Essar network for interception of Internet messages from BlackBerry to non-BlackBerry devices. Initially, there were difficulties in cracking the same on Vodafone-Essar network but that has also been solved. This means that the email messages sent on Internet through your BlackBerry sets would no longer be exclusive and government would be able to track them. “Decompression is being tested in operator’s network with three successful testing on Bharti Airtel, Reliance Communication and BPL Mobile,” a source in DoT said. He, however, added that the solution reached upon would not be shared with anybody including the national telecom service providers like BSNL or MTNL. “The test is being conducted wholly for non-enterprise solutions,” he said. The Union cabinet has also been apprised of the recent developments by the DoT. Makers of BlackBerry set, RIM, could not be contacted for comment. An official in Vodafone-Essar, however, on conditions of anonymity said that there has been substantial progress in decoding the BlackBerry encryptions and DoT has got success on decompressing the data on the networks of all the major service providers. The test would be conducted on all the network of all the BlackBerry service providers and the service providers, on whose network the interception does not happen smoothly, would be asked to make technical changes in their services to make them compatible for decompression. Decompression is the process of decoding information with an aim to transfer the data to a different medium like data to voice, data to video or data to text.
The DoT had earlier asked RIM to provide the master key to allow access to contents transferred over their handsets. RIM had, however, said that it could not handover the message encryption key to the government as its security structure does not allow any third party or even the company to read the information transferred over its network. The BlackBerry issue surfaced earlier this year when DoT asked Tata Tele-services to delay the launch of the service till appropriate security mechanisms were in place. Currently, there are over one lakh BlackBerry users in the country. Bharti Airtel, Reliance Communications, Vodafone Essar and BPL Mobile are offering this service in the country. Tata Teleservices has also been allowed to offer the BlackBerry services recently. Incidentally, Tata Teleservices launched the service after telecom secretary Siddhartha Behura said that the government has no role in stopping the
कैंब्रिज। अधिकतर घडि़यां केवल समय बताती हैं, लेकिन कैंब्रिज के कार्पस क्रिस्टी कालेज में लगी नई घड़ी लोगों को समय बताने के साथ साथ मानव जीवन की नश्वरता की याद दिलाएगी। यह घड़ी सर्वकालिक प्रसिद्ध घड़ी निर्माताओं में से एक जान हैरीसन के प्रति श्रद्धांजलि होगी।
दस लाख 80 हजार अमेरिकी डालर से भी अधिक लागत से बनी इस घड़ी का औपचारिक अनावरण शुक्रवार को प्रसिद्ध विज्ञानी स्टीफन हाकिंग ने किया। यह कार्पस क्लाक घडि़यों के बारे में पूर्व प्रचलित धारणाओं का खंडन करती है। आम तौर पर घडि़यों में मिलने वाली सेकेंड, मिनट और घंटे की सुइयां इसमें नहीं हैं। यह अपने ही ढंग से चलती है, यह समय-समय पर तेज और धीमी हो जाती है।
यह कार्पस क्लाक जान टेलर के दिमाग की उपज है और इसे महान विद्वान जान हैरीसन के प्रति श्रद्धांजलि माना गया है। हैरीसन एक अंग्रेज हैं और उन्होंने 1725 में टिड्डे के आकार का एक यंत्र बनाया था, जो घड़ी की गति को नियंत्रित करता था। टेलर ने कार्पस क्लाक को विशेष सौंदर्य देते हुए इसके ऊपर एक टिड्डा बनाया है। यह टिड्डा घड़ी का भाग है। एक मिनट में इसका जबड़ा खुल जाता है और 59 सेकेंड में अचानक बंद हो जाता है। इस प्राणी की हरी आंखें समय समय पर चमकते हुए पीली हो जाती है। टिड्डा समय भक्षी और समय को खाता है। टेलर ने कहा कि बीता हुआ समय मतलब वह उसे खा चुका है। विशालकाय टिड्डा वाले कार्पस क्लाक का अनावरण करते हुए हाकिंग ने अनुमान लगाया कि घड़ी के ऊपर बना प्राणी कैंब्रिज शहर का सौंदर्य बढ़ाने के साथ साथ लोगों का स्नेह भी।
इस मामले की जाँच कर रही है वहाँ की केंद्रीय जाँच एजेंसी एफ़बीआई, जिसने अब तक 400 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया है.
इसी सिलसिले में अमरीका में गुरुवार को इंवेस्टमेंट बैंक बेयर स्टर्न्स के दो पूर्व मैनेजरों को गिरफ़्तार कर लिया गया.
संकट
इस साल मार्च के महीने में अमरीका का पाँचवा सबसे बड़ा बैंक संकट में आया और फिर उसे एक दूसरे बैंक जेपी मॉर्गन चेज़ ने ख़रीद लिया.
जिस दिन ये हुआ, अमरीका में बाज़ार गिरा और भारत में भी शेयर बाज़ारों में भारी गिरावट आई. महीनों से जारी अमरीकी सब प्राइम संकट भारत में भी सुर्ख़ियों में आया - सेंसेक्स 21,000 से लुढ़ककर 14,500 के स्तर तक पहुँच गया.
![]() | ![]() ![]() ऱॉबर्ट मूलर, एफ़बीआई के निदेशक |
ज़ाहिर है अमरीका की अर्थव्यवस्था में क्या हो रहा है उसमें भारत की भी गहरी रुचि है.
अमरीका में गुरुवार को इंवेस्टमेंट बैंक -बेयर स्टर्न्स के दो पूर्व मैनेजरों रैल्फ़ सियोफ़ी और मैथ्यू टैनिन को गिरफ़्तार कर लिया गया.
इनपर आरोप ये है कि इन्हें ये अंदाज़ा था कि संकट कितना बड़ा है लेकिन ये बातों पर पर्दा डालते रहे.
ये दोनों, बेयर स्टर्न्स के ऐसे हेज फ़ंड के प्रमुख थे जो बाज़ार में 20 अरब डॉलर लगाता था – दोनों प्रतिष्ठित थे, अमीर और प्रभावशाली.
दोनों अपने ऊपर लगे आरोपों से इंकार कर रहे हैं. जानकार कहते हैं कि वित्तीय संकट को रोक पाने में असमर्थ अमरीका सरकार जो बन पड़े करने की कोशिश कर रही है.
एफ़बीआई के निदेशक रॉबर्ट मूलर कहते हैं, “जिन स्कीमों और धोखाधड़ी से बाज़ार के प्रति लोगों का विश्वास कम हुआ है और जहाँ आपराधिक गतिविधि का सबूत मिलेगा हम उन लोगों को सज़ा दिलाकर रहेंगे.”
लेकिन सवाल ये है कि एफ़बीआई के इन क़दमों से क्या वाकई सरकार समस्या की जड़ तक पहुँचकर वित्तीय संकट को थाम सकती है?
जानकार कहते हैं शायद नहीं. क्योंकि ज़रूरत है इस पूरी वित्तीय व्यवस्था में बड़े बदलाव की.
साथ ही जानकार ये भी कहते हैं कि बेहतर होगा कि जल्द से जल्द बैंक अपने असली और पूरे नुक़सान को स्वीकार करें ताकि सभी लोग पारदर्शी तरीके से समझ सकें कि वास्तव में नुक़सान है कितना और फिर वहाँ से बेहतरी की ओर बढ़ें.
शायद इसी में अमरीका की भी भलाई है और बाक़ी दुनिया की भी.