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Posted by: Arun


इतिहास ¨बदु ड्रैगन देश के अंकों में चीन"

झाऊ वंश का शासन, सामन्तवादी प्रथा का प्रारंभ। 

[221 ईसापूर्व] 

किन वंश ने संगठित चीन की स्थापना की। चीन की महान दीवार का निर्माण पूर्ण हुआ। 

[220 से 206 ईसापूर्व] 

हान वंश ने चीन की सीमा को कोरिया, वियतनाम, मंगोलिया व मध्य एशिया तक बढ़ाया। 

[1368 ईस्वी] 

झू यांगझांग ने मंगोलों को पराजित कर मिंग वंश की स्थापना की। 

[1644 ईस्वी] 

चीन के अंतिम राजवंश किंग ने यूरोपीय प्रभाव को समाप्त करके देश को नियंत्रण में लिया। 

[1851 ईस्वी] 

ताइपिंग विद्रोह हुआ। किंग राजवंश और क्रांतिकारियों के बीच हुए संघर्ष में 2 करोड़ लोग मारे गए। यह चीनी इतिहास का सबसे हिंसक गृहयुद्ध था। 

[1911 ईस्वी] 

सू यत्सेन ने किंग के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, चीन गणतंत्र राज्य घोषित। 

[1937 ईस्वी] 

जापान ने चीन पर आक्रमण किया। 1945 में इस युद्ध के समाप्त होने तक 1 करोड़ चीनी नागरिक लापता हो चुके थे। 

[1949 ईस्वी] 

माओत्से तुंग द्वारा द पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना की स्थापना हुई, चीन गणतांत्रिक समाजवादी देश बना। 

[1958 ईस्वी] 

माओत्से तुंग ने चीन के तीव्र औद्योगीकरण के लिए योजना बनाई। यह तीन वर्ष में ही धराशायी हो गई। 

[1966 ईस्वी] 

माओत्से तुंग द्वारा प्रतिद्वंदियों का सफाया करने के लिए चलायी गई 'सांस्कृतिक क्रांति' में 50,000 लोग मारे गए। 

[1978 ईस्वी] 

डेग जियाओपिंग ने चीन में सुधार और आधुनिकीकरण को प्रेरित किया। 

[1989 ईस्वी] 

थ्येन आन मन चौक पर छात्रों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों को क्रूरता से कुचला गया। 

[2001 ईस्वी] 

बीजिंग को 2008 ओलंपिक मेजबानी का अधिकार मिला।
 

************* 

* विश्व की 24 प्रतिशत जनसंख्या चीनी भाषाएं बोलती है। चीन की राष्ट्रभाषा मैंडेरिन है। 

* चीन में औसत आयु 33.6 वर्ष है। 

* जनसंख्या नियंत्रण कानून, 1979 के अनुसार प्रत्येक चीनी दंपति को मात्र 1 बच्चे को जन्म देने की अनुमति है। 

* प्रतिमाह चीन में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या मृत्युदर से 10 लाख अधिक है। 

* बीजिंग शहर में 1.7 करोड़ स्थायी नागरिक है। बाहरी मजदूरों की संख्या मिलाकर शहर की जनसंख्या 2 करोड़ से अधिक हो जाती है। 

* बीजिंग में 90 लाख साइकिलें है। 

* जबसे चीन को ओलंपिक आयोजित करने का अधिकार मिला है, तब से अब तक यहाँ 3,491 बच्चों का नाम 'एयुन' रखा गया है, जिसका अर्थ है ओलंपिक। 

* बीजिंग ओलंपिक में 5,50,000 विदेशियों के आने की उम्मीद की जा रही है। 

* चीन पर 3 सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें इस प्रकार हैं: गेट आफ हैवेनली पीस/लेखक जोनाथन स्पेन्स, द चाइना प्राइस/लेखिका एलेक्जेन्ड्रा हेनरी, आथेंटीकेटिंग तिब्बत: आन्सर टु चाइनीज 100 क्वेश्चन्स/लेखक एनेमरी ब्लान्ड्य


Digital  

Posted by: Arun


नोटबुक


क्या आपको नोटबुक
कंप्यूटर की जरूरत है? अगर हां, तो इसे यूं ही नहीं खरीद लीजिएगा। इससे पहले कुछ होमवर्क करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।

आप नोटबुक खरीदने जाएंगे, तो जाहिर है कि सबसे पहला ध्यान इसकी खासियतों पर देंगे। सबसे पहले वे बातें चेक करेंगे, जिनके बारे में आपने सुना है, जैसे: ड्यूअल कोर प्रोसेसर, बड़ी स्क्रीन, छोटा साइज और कम वजन। लेकिन सिर्फ सुनकर ही इंप्रेस नहीं हो जाना चाहिए। इससे कहीं ज्यादा फायदेमंद होगा, इनके बारे में अच्छी तरह जान लेना।

Screen
नोटबुक खरीदने से पहले इसके स्क्रीन टाइप पर विशेष ध्यान दें। पहले देख लें कि एलसीडी स्क्रीन 'ग्लॉसी' है या 'मैटी'। इन दिनों मैन्युफैक्चरर्स ज्यादातर ग्लॉसी स्क्रीन बना रहे हैं। ये स्क्रीन लैपटॉप पर मूवी देखने के लिए तो बढि़या रहती हैं, लेकिन रूटीन का ऑफिस वर्क करने के लिए नहीं, क्योंकि ग्लॉसी स्क्रीन बहुत ज्यादा रिफ्लेक्टिव होते हैं।

परंपरागत ऑफिस कल्चर में ग्लॉसी स्क्रीन का इस्तेमाल करने का मतलब है, आंखों पर जरूरत से ज्यादा दबाव और कंसंट्रेशन में परेशानी महसूस होना। दरअसल, ऑफिस में ग्लॉसी स्क्रीन पर पड़ने वाली रोशनी और ऑब्जेक्ट्स की इमेज को इग्नोर करके काम करना पड़ता है। कुल मिलाकर, कहा जा सकता है कि अगर आप सिर्फ ऑफिस वर्क करने के लिए नोटबुक खरीद रहे हैं और इस पर मूवी देखने या गेम्स खेलने का आपका इरादा नहीं है, तो ग्लॉसी स्क्रीन को अवॉइड ही करना चाहिए।

Connectivity
भले ही आज कई नोटबुक्स बिल्ट-इन वायरलेस नेटवर्क कनेक्टिविटी के साथ आती हैं, लेकिन अभी भी यह बड़ी परेशानी है कि ज्यादातर में पुरानी तकनीकों का ही इस्तेमाल किया जाता है। वायरलेस ट्रांसमिशन स्टैंडर्ड को आधिकारिक रूप से '802.11 एन' किए जाने से नेटवर्किंग स्पीड में काफी सुधार होगा। तब, इंटरनेट और नेटवर्टिंग कनेक्टिविटी स्पीड आज के मुकाबले 10 गुना तेज हो जाएगी। जाहिर है, कोई भी व्यक्ति अपने नोटबुक कंप्यूटर में तेज स्पीड चाहेगा। वैसे भी एक बार नोटबुक खरीदने के बाद इस पर वायरलेस कनेक्टिविटी का प्रकार बदलने की सुविधा नहीं होती, इसलिए तेज स्पीड का होना बेहद जरूरी है। सिर्फ 802.11 बी या 802.11 जी (बिल्ट इन) वायरलेस कार्ड वाली नोटबुक को इग्नोर कर देना चाहिए। 802.11 एन वर्जन को जरूर प्रयोग करने लायक माना जा सकता है, क्योंकि इसकी स्पीड 802.11 जी से कहीं ज्यादा होगी और इसे बाद में अपग्रेड भी कराया जा सकता है।

Making
कोई भी नोटबुक कंप्यूटर कितनी गंभीरता से बनाया गया है, यह बेहद अहम बात है। इसी के आधार पर तय होगा कि आपकी नोटबुक कितने लंबे समय तक आपका साथ देगी? दुर्भाग्य से, बढ़ती प्रतियोगिता ने इस समय को बहुत कम कर दिया है। बाजार में प्रतियोगिता का सबसे पहला असर कम कीमतों के रूप में दिखाई देता है। यह असर नोटबुक के मार्किट में भी नजर आने लगा है। कम कीमत में अपना प्रॉडक्ट बेचने की होड़ में नोटबुक मेकर्स क्वॉलिटी से समझौता करने लगे हैं। अगर आप अक्सर ट्रैवल करते हैं या किसी यंगस्टर के लिए नोटबुक खरीद रहे हैं, तो ऐसा प्रॉडक्ट खरीदें, जो थोड़ा-बहुत रफ इस्तेमाल सहन कर सके।

Heat
पावरफुल प्रोसेसर, तेज हार्ड ड्राइव और भारी-भरकम बैटरी : नतीजा, गर्म बॉडी
जी हां, ज्यादातर नोटबुक कंप्यूटर्स के साथ यही समस्या होती है। लोग नोटबुक इसलिए लेते हैं कि उन्हें काम करने के लिए डेस्क का मोहताज न होना पड़े और वे जहां चाहें, नोटबुक को गोद में रखकर काम कर सकें। अगर नोटबुक का निचला हिस्सा जल्दी ही गर्म हो जाएगा, तो सोचिए आप काम कैसे कर सकेंगे?

वैसे, कुछ मेकर्स ने इस समस्या को ध्यान में रखा है। तभी तो मार्किट में इतनी बढि़या क्वॉलिटी की नोटबुक भी उपलब्ध हैं, जिनकी बॉडी गर्म नहीं होती। खुद नोटबुक खरीदने से पहले या तो मेकर से संपर्क करें या किसी ऐसे स्टोर में विजिट करें, जहां नोटबुक को डिस्प्ले में ऑन रखा गया हो। इसे छूकर इसकी क्वॉलिटी का अंदाजा किया जा सकता है।

Noise
वैसे, नोटबुक में शोर का कोई मतलब नहीं रह गया है। लेकिन अगर आपको हल्के शोर से भी काम करने में परेशानी होती है, तो यह आपके लिए बड़ा मुद्दा हो सकता है। नोटबुक में शोर दो कारणों से पैदा होता है, हार्ड ड्राइव और कूलिंग फैन। अगर आप हार्ड ड्राइव के सोर्स से ही छुटकारा पाना चाहते हैं, तो स्ट्रॉन्ग स्टेट ड्राइव वाली नोटबुक की तलाश कीजिए।

ज़रा हटके  

Posted by: Arun

ऐसे चला सब पर 9 का जादू
क्या कभी आपने सोचा है कि 600 रुपये की शर्ट पर 599 रुपये का टैग लगाने का आइडिया दुकानदारों के पास कैसे आया। कंस्यूमर को लुभाने वाली इस तरकीब का पता वैज्ञानिकों की एक रिसर्च में लगाया गया था।

इस रिसर्च में यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न ब्रिटैनी के रिसर्चरों ने पश्चिमी फ्रांस के लोरियंट शहर के एक रेस्टोरंट में फील्ड स्टडी करवाई। स्टडी के दौरान रेस्टारंट के दूसरे सबसे पसंदीदा पिजा के रेट के आखिर में जीरो हटाकर 9 कर दिया गया। बाकी डिशों के दाम जीरो पर खत्म हो रहे थे। दो हफ्ते बाद देखा गया कि कस्टमर उस पिजा को ज्यादा पसंद कर रहे थे जिसकी कीमत 9 अंक से खत्म हो रही थी। बस, एक पॉइंट की कमी ने डिश को सबका फेवरेट बना दिया।

G का उच्चारण कहां ग और कहां ज?

गंगा को अंग्रेजी में कहते हैं Ganges, यह तो आप जानते ही होंगे। मगर क्या कभी आपने इस शब्द में डुबकी लगाकर यह पता करने की कोशिश की है कि उसको गैंजिज़ क्यों बोलते हैं , गैंगिज़ क्यों नहीं ! यदि हां तो आपको g के अलग-अलग उच्चारणों का क्लू मिल गया होगा। अगर नहीं तो आज मेरे साथ मिलकर गोता लगाएं।

G के मामले में भी उच्चारण का फ़ॉर्म्युला लगभग वही है जो C के मामले में है ( C का उच्चारण कहां होगा क और कहां स? ) - यानी a, o और u से पहले g हो तो उच्चारण हार्ड यानी होगा और e, i और y से पहले g हो तो उच्चारण सॉफ्ट यानी होगा। Ganges में पहले g के बाद a है इसलिए उसका उच्चारण गंगा वाला ग होगा लेकिन बाद वाले g के बाद e है , इसलिए उसका उच्चारण जमुना वाला ज होगा।

इसी तरह के कुछ उदाहरण देखिए जिनमें g दो बार आया है और फॉर्म्युले के मुताबिक दोनों का उच्चारण अलग-अलग है। ( gadget (गैजिट) , engage (इंगेज) , gorgeous (गॉर्जस) और gigantic (जाइगैंटिक)। इसी तरह oblige में g का उच्चारण है लेकिन obligation में हो जाता है।

काश कि सभी मामलों में ऐसा ही होता। लेकिन ऐसा है नहीं। a, o और u से पहले g हो तो बोलें ग का फंडा तो फिर भी सही है मगर e, i और y से पहले g हमेशा ज नहीं होता अपवाद भी इतने ज्यादा हैं कि कई बार सोचना पड़ता है कि इसे फ़ॉर्म्युला कहा भी जाए या नहीं। जैसे gear, get, geyser, gift, girl, give - इन सबमें g के बाद e या i है मगर उच्चारण ग है । लेकिन हम बावजूद इसके इस फॉर्म्युले पर अड़े रहेंगे क्योंकि शुरुआती g के मामले में भले ही यहां नियम टूटता दिखाई दे रहा हो मगर g जब शब्द के बीच में हो तो यह फ़ॉर्म्युला ज़्यादातर मामलों में कारगर है। मसलन angel (एंजल) , agent (एजंट) , oxygen (ऑक्सिजन) , urgent (अरजंट) , virgin (वर्जिन) , engine (एंजिन) , digit (डिजिट) , magic (मैजिक) आदि।

बागी शब्द इसमें भी हैं जैसे target और begin या फिर er वाले मामले में जैसे hunger, finger, danger आदि।

g के मामले में कुछ चीज़ें तय हैं जैसे g शब्द के अंत में हो तो हमेशा ग ही होता है। इसी तरह शब्द के अंत में ge हो तो उसका उच्चारण ज ही होता है।

gy मामले में तो स्थिति एकदम साफ है चाहे वह शुरू में हो या आखिर में - जैसे gymnasium (जिम्नेज़िअम) , gypsum (जिप्सम) , gymnastics (जिम्नैस्टिक्स) , biology (बाइऑलजी) आदि एक gynae और इससे बननेवाले शब्दों को छोड़कर।


जो डर गया समझो मर गया  

Posted by: Arun



...जो डर गया समझो मर गया, अब तेरा क्या होगा कालिया जैसे संवाद जेहन में आते ही जो तस्वीर उभरती है वह है भारतीय सिनेमा जगत के अजीम खलनायक अमजद खान की जिन्होंने अपनी जबरदस्त अदाकारी की बदौलत लगभग तीन दशकों तक दर्शकों को अपना दीवाना बनाए रखा।

अमजद खान ने करीब तीन दशक के फिल्मी करियर में करीब 130 फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। फिल्म शोले में उनका निभाया किरदार गब्बर सिंह तो उनके नाम का पर्याय ही बन गया था। उनका संवाद ..जो डर गया समझो मर गया आज भी बहुत लोकप्रिय है और गाहे बगाहे लोग इसे बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं। 12 नवंबर 1940 को हैदराबाद में जन्मे अमजद खान को अभिनय की कला विरासत में मिली। उनके पिता जयंत फिल्म इंडस्ट्री में खलनायक रह चुके थे। अमजद खान ने बतौर कलाकार अपने अभिनय जीवन की शुरूआत वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म ..अब दिल्ली दूर नहीं से की। इस फिल्म में अमजद खान ने बाल कलाकार की भूमिका निभाई। सत्तर के दशक में अमजद खान ने मुंबई से अपनी कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद बतौर अभिनेता काम करने के लिए फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया। वर्ष 1973 में बतौर अभिनेताउन्होंने फिल्म हिंदुस्तान की कसम से अपने करियर की शुरुआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके।

अमजद खान की पसंद के किरदार की बात करें तो उन्होंने सबसे पहले अपना मनपसंद और कभी भुलाए नहीं जा सकने वाला किरदार रमेश सिप्पी की वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म शोले में निभाया। वर्ष 1975 में अपनी पिछली फिल्म की सफलता से उत्साहित रमेश सिप्पी मारधाड़ से भरपूर फिल्म बनाना चाहते थे। इस फिल्म में नायक के रूप में धर्मेद्र कुमार, अमिताभ बच्चन और संजीव कुमार का चयन हो चुका था, जबकि कहानी की मांग को देखते हुए खलनायक के रूप में ऐसे कलाकार की मांग थी जो फिल्मी पर्दे पर बहुत ही बुरा लगे। इस किरदार के लिये निर्देशक रमेश सिप्पी ने अमजद खान जैसे नए कलाकार का चुनाव किया। जो फिल्म की सफलता के बाद सही साबित हुआ। इस फिल्म में अमजद खान द्वारा निभाए गए किरदार का नाम था गब्बर सिंह और यही नाम इस फिल्म के बाद उनकी पहचान बन गया।

फिल्म शोले में नायक को मात करने वाले अमजद खान के कुछ डायलाग इतने लोकप्रिय हुए कि उसका साउंडट्रैक भी निकाला गया। इन्होंने फिल्म शोले में ..अरे ओ सांबा, सरकार ने मुझ पर कितना इनाम रखा है, ..जब रात को बच्चा नहीं सोता है तो मां कहती बेटा सो जा नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा और ..कितने आदमी थे को जबरदस्त सफलता मिली।

फिल्म शोले की सफलता से अमजद खान के सिने करियर में जबरदस्त बदलाव और वह खलनायकी की दुनिया के बेताज बादशाह बन गए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने दमदार अभिनय से दर्शकों की वाहवाही लूटने लगे। वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म शतरंज के खिलाड़ी में उन्हें महान निर्देशक सत्यजीत रे के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के जरिए भी उन्होंने दर्शकों का मन मोहे रखा। बरहराल धीरे-धीरे उनके करियर की गाड़ी बढ़ती गई और उन्होंने हम किसी से कम नहीं [1977], परवरिश [1977], कस्मे वादे [1978], देश परदेस [1978] जैसी कई सफल फिल्मों के जरिए दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाते गए। अपने अभिनय में आई एकरूपता को बदलने और स्वयं को चरित्र अभिनेता के रूप में भी स्थापित करने के लिए अमजद खान ने अपनी भूमिकाओं में परिवर्तन भी किया। इसी क्रम में वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिरोज खान की सुपरहिट फिल्म कुर्बानी में अमजद खान ने हास्य अभिनय कर दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

वर्ष 1981 में अमजद खान के अभिनय का नया रूप दर्शकों के सामने आया। प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्म लावारिस में वह फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता की भूमिका निभाने से भी नहीं हिचके, हालांकि अमजद खान ने फिल्म लावारिस से पहले अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई थी पर इस फिल्म के जरिए भी अमजद खान दर्शकों से वाहवाही लूटने में सफल रहे।

वर्ष 1981 में प्रदर्शित फिल्म याराना में उन्होंने सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के दोस्त की भूमिका निभाई। इस फिल्म में उन पर फिल्माया यह गाना .बिशन चाचा कुछ गाओ बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। इसी फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए अमजद खान अपने सिने करियर में दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ सह कलाकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। इसके पहले भी वर्ष 1979 में भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह कलाकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वर्ष 1985 में फिल्म मां कसम के लिए अमजद खान सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। निर्माता निर्देशक मनमोहन देसाई के साथ उनकी जोड़ी काफी सराही गई। मनमोहन देसाईके साथ अमजद खान ने सुहाग, परवरिश, नसीब, देशप्रेमी जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में अभिनय किया। मनमोहन देसाई के अलावा उनके पसंदीदा निर्माता-निर्देशक में प्रकाश मेहरा, नासिर हुसैन प्रमुख रहे।

खलनायक की प्रतिभा के निखार में नायक की प्रतिभा बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसी कारण महानायक अमिताभ बच्चन के साथ अमजद खान के निभाए किरदार और अधिक प्रभावी रहे। उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ शोले, मुकद्दर का सिकंदर, परवरिश, सुहाग, लावारिस, मिस्टर नटवर लाल, याराना, नसीब, कालिया, सत्ते पेसत्ता जैसी अनेक कामयाब फिल्मों में काम किया। वर्ष 1983 में अमजद खान ने फिल्म चोर पुलिस के जरिए निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख दिया, लेकिन यह फिल्म बॉक्स आफिस पर बुरी तरह से नकार दी गई। इसके बाद वर्ष 1985 में भी अमजद खान ने फिल्म अमीर आदमी गरीब आदमी का निर्देशन किया, लेकिन यहां पर भी उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा। 90 के दशक में अमजद खान ने स्वास्थ्य खराब रहने के कारण फिल्मों में काम करना कम कर दिया। अपनी अदाकारी से लगभग तीन दशक से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाले अजीम अभिनेता अमजद खान 27 जुलाई 1992 को इस दुनिया से रुखसत हो गए।



आपकी नजरों ने समझा..



आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे, दिल की ए धड़कन संभल जा मिल गई मंजिल मुझे..जैसे सदाबहार गीत लिखने
वाले राजा मेहदी अली खान ने प्रेम विरह और देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत अपने गीतों से लगभग चार दशक तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।

करमाबाद शहर में एक जमींदार परिवार में पैदा हुए राजा मेहदी अली खान चालीस के दशक में आकाशवाणी दिल्ली में काम करते थे। दिल्ली में आकाशवाणी की नौकरी छोड़ कर वह मुंबई आए और यहां अपने मित्र के प्रयास से उन्हें अशोक कुमार की फिल्म एट डेज में उन्हें डायलॉग लिखने का काम मिल गया।

चालीस के दशक में उर्दू साहित्य के लेखन की एक सीमा निर्धारित थी। राजा मेहदी अली खान ने धीरे-धीरे उन्होंने उर्दू साहित्य की बंधी-बंधाई सीमाओं को तोड़ा और अपने लेखन का अपना अलग अंदाज बनाया। अपने लेखन की नई शैली की वजह से वह कुछ हीं समय में लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब हो गए।

वर्ष 1945 में उनकी मुलाकात फिल्मिस्तान स्टूडियो के मालिक एस मुखर्जी से हुई। राजा मेहदी अली खान में एस मुखर्जी को फिल्म इंडस्ट्री का उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया। उन्होंने उनसे फिल्म दो भाई के लिए गीत लिखने की पेशकश की। फिल्म दो भाई में अपने रचित गीत मेरा सुंदर सपना बीत गया..की कामयाबी के बाद बतौर गीतकार राजा मेहदी अली खान फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए।

वर्ष 1947 में विभाजन के बाद देश भर में हो रहे सांप्रदायिक दंगों को देख कर राजा मेहदी अली खान का मन विचलित हो गया। उनके कई रिश्तेदार ने उनसे नवनिर्मित पाकिस्तान चलने को कहा, लेकिन राजा मेहदी अली खान का मन इस बात के लिए तैयार नहीं हुआ और उन्होंने आजाद हिन्दुस्तान में ही रहने का निश्चय किया।

देश के वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिए उन्होंने फिल्म शहीद के लिए वतन की राह में वतन के नौजवान शहीद हो. की रचना की। देशभक्ति के जज्बे से परिपूर्ण फिल्म शहीद..का यह गीत आज भी श्रोताओं की आंखों को नम कर देता है।

वर्ष 1950 तक राजा मेहदी अली खान फिल्म इंडस्ट्री में बतौर गीतकार स्थापित हो चुके थे और फिल्म इंडस्ट्री में उनकी तूती बोलने लगी थी। फिल्म इंडस्ट्री में ऊंचे मुकाम में पहुंचने के बावजूद राजा मेहदी अली खान को किसी बात का घमंड नहीं था। उन्होंने कभी इस बात की परवाह नहीं की कि वह नए संगीतकार के साथ काम कर रहे हैं या फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज संगीतकार के साथ।

उन्होंने वर्ष 1950 में प्रदर्शित फिल्म मदहोश के जरिये अपने संगीत कैरियर की शुरूआत करने वाले मदन मोहन के साथ भी काम करना स्वीकार कर लिया।

मदन मोहन के अलावा राजा मेहदी अली खान ने इकबाल कुरैसी, बाबुल, एस मोहन्दर जैसे नए संगीतकार को फिल्म इंडस्ट्री में पेश किया। फिल्म मदहोश के बाद मदन मोहन राजा मेहदी अली खान के चहेते संगीतकार बन गए। इसके बाद जब कभी राजा मेहदी अली खान को अपने गीतों के लिए संगीत की जरूरत होती थी, तो वह मदन मोहन को ही काम करने का मौका दिया करते थे।

मदन मोहन ने अपने संगीत निर्देशन से राजा मेहदी अली खान रचित जिन गीतों को अमर बना दिया, उनमें आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे [अनपढ़] 1962, लग जा गले कि फिर हंसी राज हो ना हो [वो कौन थी] 1964, नैनो में बदरा छाये, मेरा साया साथ होगा [मेरा साया] 1966 जैसे गीत श्रोताओं के बीच आज भी उतनी हीं शिद्दत के साथ सुने जाते हैं। राजा मेहदी अली खान ने अपने गीतों में आप शब्द का इस्तेमाल बहुत हीं खूबसूरती से किया है।

इन गीतों में आप यूं ही हमसे मिलते रहे देखिये एक दिन प्यार हो जाएगा [एक मुसाफिर एक हसीना] 1960, आपके पहलू में आकर रो दिये, [मेरा साया] 1966, आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे [अनपढ़] 1962, आपको राज छुपाने की बुरी आदत है [नीला आकाश] 1965 जैसे कई सुपर हिट गीत शामिल हैं।

पचास के दशक में राजा मेहदी अली खान के रूमानी गीत काफी लोकप्रिय हुए थे। इस दौर में स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने गीतकार राजा मेहदी अली खान के लिए कई गीत गाए। इन गीतों में आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे [अनपढ़], जो हमने दास्तां सुनाई आप क्यों रोये नैना बरसे रिमझिम रिमझिम [वो कौन थी] 1964, आपने अपना बनाया मेहरबानी आपकी [दुल्हन एक रात की] 1966, अगर मुझसे मोहब्बत है [आप की परछाइयां] 1964, तू जहां जहां चलेगा मेरा साया साथ होगा [मेरा साया] 1966 जैसे न भूलने वाले गीत शामिल हैं।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी राजा मेहदी अली खान ने कई कविताएं और कहानियां भी लिखी, जो नियमित रूप से बीसवीं सदी, खिलौना, शमा बानो जैसी पत्रिकाओं में छपा करती थी। सत्तर के दशक में राजा मेहदी अली खान ने फिल्मों के लिए गीत लिखना काफी कम कर दिया। अपने गीतों से लगभग चार दशक तक श्रोताओं को भावविभोर करने वाले महान गीतकार राजा मेहदी अली खान 29 जुलाई 1996 को इस दुनिया से रुखसत हो गए।






पठान का ढाई करोड़ का आशियाना  

Posted by: Arun


वड़ोदराः आईपीएल टूर्नामेंट में अपने आसमान छूते छक्कों से राजस्थान रॉयल्स को खिताब जिताने वाले यूसुफ पठान और अपनी शानदार इनस्विंगर से किंग्स इलेवन को सेमीफाइनल तक पहुंचाने वाले इरफान पठान का पता जल्द ही बदलने वाला है ! जी हां , दोनों अपने लिए एक शानदार बंगला बनाने जा रहे हैं। बंगला भी ऐसा वैसा नहीं पूरे ढाई करोड़ का। पठान बंधुओं का यह नया आशियाना वड़ोदरा के टंडाल्जा में होगा। करीब 1500 स्क्वायर फीट में फैले पांच बेडरूम और हरे-भरे लॉन वाले इस बंगले का नक्शा बनकर तैयार है। पठान बंधुओं के इस बंगले में जिम और स्विमिंग पूल तो होगा ही , पार्किंग के लिए भी अच्छी-खासी स्पेस होगी।

आईपीएल टूर्नामेंट खत्म होने के बाद आराम फरमा रहे इरफान और यूसुफ हालांकि अपने इस नए आशियाने के बारे में कुछ नहीं बोले, लेकिन उनके पिता महमूद खान ने इसकी तस्दीक की, ' हमें थोड़ी ज्यादा जगह वाले एक घर की तलाश थी। इरफान और यूसुफ का निकाह होगा , तो परिवार थोड़ा बड़ा हो जाएगा। फिर थोड़ा ज्यादा जगह की जरूरत होगी। इसलिए हमने नया घर बनाने का फैसला किया। '

पठान बंधुओं का यह नया बंगलाउनके चार कमरे वाले पुराने घर सेकुछ ही दूरी पर होगा। गौरतलब हैकि इरफान पठान ने यह मकानतीन साल पहले इंडियन टीम मेंसिलेक्सन के बाद खरीदा था।इससे पहले वे मांडवी में मस्जिदके पीछे एक कमरे के छोटे से घर में रहा करते थे।


An alien's-eye view  

Posted by: Arun


A picture taken by a spacecraft, of the Earth and its moon from 31 million miles away, making an alien's-eye view of our world. (Reuters Photo)

A spacecraft sent on a mission to inspect comets has filmed the Earth and its Moon from 50 million kilometres away, making an alien's-eye view of our world.

The two brief sequences show the Moon passing in front of the Earth as it orbits.

"Making a video of Earth from so far away helps the search for other life-bearing planets in the universe by giving insights into how a distant, Earth-like alien world would appear to us," said University of Maryland astronomer Michael A'Hearn, who leads the project using Nasa's Deep Impact spacecraft.

"Our video shows some specific features that are important for observations of Earth-like planets orbiting other stars," added Drake Deming of Nasa's Goddard Space Flight Center in Greenbelt, Maryland.

"A ‘sun glint' can be seen in the movie, caused by light reflected from Earth's oceans, and similar glints to be observed from extrasolar planets could indicate alien oceans,' Deming added."Also, we used infrared light instead of
the normal red light to make the color composite images, and that makes the land masses much more visible."

That's because plants and some microbes reflect near-infrared light - apparently because absorbing it would cause them to overheat during photosynthesis - and that causes land masses to appear bright at these
wavelengths.

"To image Earth in a similar fashion, an alien civilization would need technology far beyond what Earthlings can even dream of building," added Sara Seager, a planetary theorist at the Massachusetts Institute of Technology in Cambridge


धरती पर कई बार आ चुके हैं एलियंस

अब तक हम अपनी धरती पर किसी विचित्र प्राणी के आने के किस्से सुनते आए हैं, लेकिन अमेरिकी स्पेस एजंसी नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री और मून वॉकर डॉक्टर एडगर मिशेल ने दावा किया है कि एलियंस का अस्तित्व है और वे कई बार पृथ्वी पर आ चुके हैं। मगर, पिछले छह दशकों से विभिन्न सरकारें इस तथ्य को छिपाती रही हैं।

डॉ. मिशेल (77) ने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा कि एलियंस के संपर्क में आने वाले नासा के सूत्रों ने उनकी शारीरिक बनावट का जिक्र किया है। उनके मुताबिक, एलियंस छोटी कद काठी वाले प्राणी हैं जो हमें बिल्कुल अजूबे लगते हैं। उनकी लंबाई कम होती है और आंखें बड़ी होती हैं। उनका सिर भी अपेक्षाकृत काफी बड़ा होता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि हमारी टेक्नॉलजी उनकी तरह ज्यादा विकसित नहीं है। अगर वे हमारे विरोधी होते, तो अब तक हमारा सफाया हो जाता।

डॉ. मिशेल और 'अपोलो 14 मिशन' के कमांडर एलन शेपर्ड के नाम चांद पर सबसे अधिक समय (9 घंटे 17 मिनट) तक चलने का रेकॉर्ड दर्ज है। बहरहाल, मिशेल ने कहा कि यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि एलियंस के धरती पर आने के बारे में मुझे जानकारी मिली और यह एक हकीकत है।

इस घटना पर पिछले 60 से कई सरकारें परदा डाल रही हैं, लेकिन यह बात राज न रह सकी और हममें से कुछ लोगों को एलियंस के बारे में जानने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मैं सेना और खुफिया सर्किल में रहा हूं जो यह जानती है कि आम धारणा क्या है। लोग भी इस बात को मानते हैं कि एलियंस हमारी धरती पर आए थे और मैं भी यह मानता हूं। इस बारे में अखबारों में खबरें भी प्रकाशित हो चुकी हैं।

इंटरव्यू लेने वाले निक मारगेरिसन को उन्होंने बताया कि इस मामले पर से परदा उठाने की यह शुरुआत है। कई संगठन भी इस दिशा में प्रयासरत हैं। डॉ. मिशेल के इस दावे से मारगेरिसन हैरान थे। उन्होंने कहा कि इस बात पर मिशेल वाकई बहुत गंभीर थे कि एलियंस हैं और इसमें कोई दो राय नहीं है।

नासा के अधिकारियों ने मिशेल के इस दावे को तवज्जो नहीं दी। एक बयान जारी कर नासा के प्रवक्ता ने कहा कि नासा एलियंस की निशानदेही नहीं करता है। हमारी धरती अथवा यूनिवर्स में कहीं भी एलियंस लाइफ के बारे में कुछ भी छिपाने में स्पेस एजेंसी शामिल नहीं है। डॉ. मिशेल एक महान अमेरिकी हैं, लेकिन इस मुद्दे पर हम उनके विचारों से सहमत नहीं हैं।



Sexy voice means sexy you!  

Posted by: Arun


When it comes to determining whether a person is sexy or not, most people rely upon their sight. Now, according to a new study, a person’s voice is more than enough to pass a judgment on their attractiveness.

The study, led by Susan Hughes, an evolutionary psychologist from Albright College in Reading, Pennsylvania, suggests that people with voices deemed sexy and attractive tend to have greater body symmetry upon close inspection.

"The sound of a person''s voice reveals a considerable amount of biological information," LiveScience quoted Hughes, as saying. "It can reflect the mate value of a person,” she added.

The study cautions that an attractive voice does not necessarily indicate that this person has an attractive face.

A symmetric body is genetically sound, scientists say, and in evolutionary terms, in the wild, it can be an important factor when selecting a mate.

However, sometimes changes during prenatal development can slightly skew this balance. For instance, the length ratio between index and ring fingers, known as the digit ratio, is fixed by the first trimester, a time that corresponds with vocal cord and larynx development.

If the hormone surge that affects vocal development also affects finger growth, there should be a connection between an individual''s voice and digit ratio.

Hughes could not demonstrate a connection between voice attractiveness and digit ratio in her previous work, possibly due to vocal changes that occur during puberty.

So in the new study, about 100 individuals listened to previously recorded voices and independently rated them on nine traits important during mate selection: approachability, dominance, healthiness, honesty, intelligence, likelihood to get dates, maturity, sexiness and warmth.

Study participants generally agreed on what made a voice attractive. But when Hughes used a spectrogram to analyze these voice ratings according to different acoustic properties such as pitch, intensity, jitter and shimmer, she could not find a common feature that made these voices seem attractive.

This indicates our perceptual system may be more advanced than expected, Hughes said.

The study is published in the June 2008 edition of the Journal of Nonverbal Behaviour.

बोइंग में डायरेक्टर बनीं स्वाति रंगाचारी  

Posted by: Arun



नई दिल्लीविश्व की अग्रणी विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने स्वाति रंगाचारी को भारत में अपना डायरेक्टर [कारपोरेट कम्युनिकेशंस] नियुक्त किया है। रंगाचारी इससे पहले टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स इंडिया में कम्युनिकेशन प्रोग्राम का प्रबंधन संभाल चुकी हैं। वह अदिति एवं तलिस्मा जैसी टेक्नोलाजी कंपनियों में भी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकी हैं। इससे पहले स्वाति प्रसिद्ध विज्ञापन एजेंसी एडमास में वरिष्ठ पद पर भी रह चुकी हैं।

स्वाति ने फोर स्कूल आफ मैनेजमेंट, दिल्ली से इंटरनेशनल मैनेजमेंट, आईसीएचईसी ब्रुसेल्स से पीजी और पूना यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री हासिल की है। बोइंग विश्व में कामर्शियल और सैन्य विमानों की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी है। शिकागो स्थित इस कंपनी के कर्मचारियों की संख्या एक लाख 60 हजार हैं।

कंपनी के लिए भारत सिविल एविएशन का प्रमुख बाजार है। कंपनी की डिफेंस यूनिट ने भारत में प्रवेश किया है और उसकी देश के रक्षा प्रोजेक्टों में तगड़ी दिलचस्पी है। कंपनी ने अगले 10 वर्षो में 20 अरब डालर के भारतीय रक्षा प्रोजेक्ट हाथ में लेने का लक्ष्य रखा है।

मंगल पर पानी  

Posted by: Arun


मंगल पर पानी

यह है मंगल ग्रह पर संकरी घाटी युक्त सबसे बड़ा जल स्रोत क्षेत्र एचस चस्मा। यह तस्वीर मार्स एक्सप्रेस पर मौजूद हाई रिजोल्यूशन स्टीरियो कैमरे द्वारा ली गई है। एचस चस्मा कसेई वाल्स का उद्गम क्षेत्र है जो करीब 3000 किलोमीटर उत्तर तक फैला है।